Sunday, 14 August 2011

योगिनी -1

योगिनी-1

योगिनी-2 और स्वस्तिलिंग

योगिनी-2

वर्ण लिंग


रेखांकन- पंचतत्त्व शिवलिंग, गाँती, पानपत्ती

पंचतत्त्व-शिवलिंग (रेखांकन-2007)--भूमि,जल,अग्नि,वायु और आकाश के ज्यामितिक आकारों को जब एक साथ संयोजित किया जाता है, क्रमशः कुल पाँचों आकार मिलकर शिवलिंग का आकार बन जाता है। इस रेखांकन में स्पष्ट दे जा सकता है।
गाँती-धोंधा (रेखांकन-1979)-- भोजपुरीभाषी क्षेत्र में जड़े के दिनों में जब धान कट जाता है और गन्ने की पेराई होती है, ठीक उन्हीं दिनों मकर संक्रान्ति के अवसर पर गुड़ के पाग में भुने हुए चावल के धोंधे बनाए जाते है। जड़े के कारण गाँती बाँधे हुए बच्चे धोंधा खाते देखे जाते हैं। गाँती गात्रिका शब्द का भोजपुरी उच्चारण है। गाँती बहुत पुराना पहरावा है,यह भारत में ही नहीं, युनान में भी प्रचलित था। गाती और धोंधा अब लुप्त होने लगा है। कृषि संस्कृति का यह आहार और पहरावा सरलता के कारण संरक्षणीय है।



पानापती (रेखांकन-1988)-- पेंड़-पौधों-लताओं फूलों-पत्तियों में भी आकर्षक रूप होता है। वही आकार यदि मानुषी रूप की आकृति बने तो उसका आकर्षण बहुत ही सहज हो सकता है। इसकी एक बानगी ।

पेड-पत्थर-प्रिया रेखांकन

रेखांकन (1999)-- पेड़,पत्थर और प्रिया- इन तीन वस्तुओं को कला भाषा बनाते हुए यह ध्यान रखा गया है कि पत्थर जड़ है,पेड़ स्थावर है और प्रिया जंगम। तीन अवस्थाओं की वस्तुओं में एक सृजनकारी लय जब क्रियाशील होता है, विविध छटाओं की कला रच जाती है।



नदीतमे(रेखांकन-1999)-- पेड़,पत्थर और प्रिया की इस रचना में प्रिया नदी होती है। पेड़ और पत्थर झंकृत होते हुए दुखते है।
नमः प्रकृत्यै(रेखांकन-1992)-- प्रकृति को सौंदर्य से भरी हुई दैवीय सत्ता के रूप में, माँ के रूप में और विविध रूपों में देखा गया है।

रेखांकन-(1988)- वानस्पतिक सौंदर्य में मानुषी रूप को खिला दिखाने के प्रयास को रेखाओं का राग कहा जाना चाहिए।
रेखांकन-(1988)--पेड़ और उसे देखनेवाले के बीच का खाली आकाश भी आकार लेता होगा। जब वह आकार लेता होगा तो वह उसका इच्छित आकार ही होता होगा।

तैल चित्र : व्यथा , सगरतट, वीणावादिनी , टूटता आकाश ।

व्यथा (1994) mid- oil/canvas

सागर तट (1993)

वर दे वीणा वादिनी (1985)

टूटता आकाश (1979)

सावन, शकुन्तला, जटायु, रजनीगंधा, सृजन शक्ति

सावन (1994)

शकुंतला (1994)

जटायु मारा गया (1979)

रजनीगंधा (1979)

सर्जना-शक्ति (1985)

राम की शक्ति पूजा, निराला, निराला की तीन मुद्राएँ, पलाश-वन , प्रतीक्षा ।

राम की शक्ति पूजा (1985)

निराला (1985)

निराला की तीन मुद्राएँ (1985)

पलाश वन (1994)

प्रतीक्षा (1979)

मंत्र चित्र : ॐमाँ , वीणावादिनी, सरस्वती, अहना, भारत वृक्ष।

मंत्र चित्र-1 (1985) 

वरदे वीणा वादिनी-२ (1994)

मंत्र चित्र-2 (1985)

अहना (1985)

भारत वृक्ष (1985)

मंत्र चित्र- गणपति, नम: शिवाय, नंदी, संकट मोचन , पपवन सुत।

मंत्र चित्र-3 (1985)

नंदी (1984)

मंत्र चित्र-4 (1994)

संकट मोचन (1985)

पवन सुत (1985)

उद्भव, काल की कला छठ, रामकृष्ण ,स्वस्ति, नम: शिवाय

उद्भव (1997)

काल की कला- छठ (2008)

स्वस्ति (2008)

रामकृष्ण देव (1985)

नमः शिवाय (1999)

तैल चित्र - हवा में औरत, योगमाया, नारी वृक्ष और पंच तत्त्व

हवा में औरत (1993)

योग माया (1993)


नारी वृक्ष (1997)
women tree--- O! dear, I'm sweet shadow. Taking rest here. Put you Head on my thigh/ thy path is thorny in burning sky. My silent beauty calls you again and again.
पंचतत्व (1997)

Saturday, 13 August 2011

साहित्यिक कलाकृतियाँ --

गोदान मेरी दृष्टि में (1982)

अवघट पथिक निराला (1985)

भारतेंदु (1994)

अस्वीकृत आदमी (1995)

मछरी (1995)

त्रिसप्तक कला

सप्त वह्नि (1997)

सप्त सिन्धु (1997)

सप्त रागिनी (1997)