Sunday 14 August 2011

पेड-पत्थर-प्रिया रेखांकन

रेखांकन (1999)-- पेड़,पत्थर और प्रिया- इन तीन वस्तुओं को कला भाषा बनाते हुए यह ध्यान रखा गया है कि पत्थर जड़ है,पेड़ स्थावर है और प्रिया जंगम। तीन अवस्थाओं की वस्तुओं में एक सृजनकारी लय जब क्रियाशील होता है, विविध छटाओं की कला रच जाती है।



नदीतमे(रेखांकन-1999)-- पेड़,पत्थर और प्रिया की इस रचना में प्रिया नदी होती है। पेड़ और पत्थर झंकृत होते हुए दुखते है।
नमः प्रकृत्यै(रेखांकन-1992)-- प्रकृति को सौंदर्य से भरी हुई दैवीय सत्ता के रूप में, माँ के रूप में और विविध रूपों में देखा गया है।

रेखांकन-(1988)- वानस्पतिक सौंदर्य में मानुषी रूप को खिला दिखाने के प्रयास को रेखाओं का राग कहा जाना चाहिए।
रेखांकन-(1988)--पेड़ और उसे देखनेवाले के बीच का खाली आकाश भी आकार लेता होगा। जब वह आकार लेता होगा तो वह उसका इच्छित आकार ही होता होगा।

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